Saturday, March 28, 2015

Sexy Desi Aurat Ki Chut aur Gand ki Kahani

   
  मैंने बहुत सारे लड़कों के साथ चुदाई की है परन्तु मैं हमेशा ही किसी कुंवारे लड़के से चुदने के सपने देखा करती थी, एक ऐसा लड़का जिसने कभी किसी लड़की को छुआ भी ना हो !और एक दिन मुझे अपने सपनों का राजकुमार मिल ही गया, मनीष नाम था उसका ! कोई उन्नीस साल की उम्र होगी।
मेरी बुआजी के घर में उत्सव था और वहीं पर मुझे यह जवान मिला। उत्सव चार दिन तक चलने वाला था और इन चार दिनों में ही मुझे उस लड़के को जैसे तैसे पटाना था। हालाँकि वो सिर्फ उन्नीस साल का था परंतु उसका भरा हुआ शरीर जैसे किसी भी लड़की को रात भर चोदने के लिए बना था। बहुत सारे लड़के इस उम्र में दुबले पतले होते हैं पर जैसे वह शायद जिम में जाता होगा, इसीलिए उसकी चौड़ी एवं फूली हुई छाती थी और चौड़े कंधे थे। जो पैंटें वो पहनता था उनमें से उसकी भरी हुई गांड और आगे से उसका तगड़ा सा लंड मुझे हमेशा दिखता था। उसका रंग साफ़ था, छोटे बाल और गहरी काली आँखें। कुल मिला कर बिलकुल वैसा ही, जैसा मैं चाहती थी।



उसको पहली बार देख कर मुझे कुछ होने लगा था और मैंने सोचा कि काश मैं उसकी उम्र की होती तो मेरा चुदाई का काम कितना आसान हो जाता। कभी कभी मैं सोचती थी कि मुझे शायद ही कभी उसकी पैंट उतारने का मौका मिले। परंतु मैं गलत थी। हालाँकि हम दोनों के बीच सिर्फ साधारण बातें ही हुईं थी, पर मैंने उसे कई बार मुझको घूरते हुए देखा था। और अब उसको रिझाने के लिए मैं अपनी ओर से पूरी कोशिश करने लगी। मैं हमेशा उसके आस पास ही मंडराती रहती थी, अपने 34 इंच के मोम्मे और अपनी बड़ी गांड को तंग टी-शर्ट और जींस में दिखाते हुए।
पारिवारिक बातों के दौरान ही मुझे पता लगा कि वो दिल्ली में ही पढ़ता है और मैंने सब लोगों के सामने ही उसको अपना टेलिफोन नंबर दे दिया और उसको कहा कि जब भी उसको कोई परेशानी हो तो वह मुझे संपर्क कर ले। साथ ही साथ उसके माता-पिता का नंबर भी ले लिया। (सिर्फ सब को दिखाने के लिए)।
कोई दो महीने के बाद मनीष ने मुझे टेलिफोन किया तो मैंने उसको आने वाले इतवार को खाने पर बुला लिया और उसको अपना पता और पहुँचने के रास्ते बताये।
तब उस दिन मनीष सुबह कोई 11 बजे आ गया। मैं घर पर साफ़-सफाई कर रही थी। पूजा अपने कॉल-सेंटर गई थी और रात को आठ बजे के बाद आने वाली थी। मैंने सिर्फ एक झीना गाउन पहना हुआ था और अंदर से बिलकुल नंगी थी। मेरे मोम्मे साफ़ साफ़ दिख रहे थे जबकि कोई पारखी आँखें हीं मेरी बिना झांटों की चिकनी चूत को देख सकती थी।
मैंने उसको अंदर बिठाया और उसके लिए पानी लेकर आई। थोड़ी देर के बाद मैंने उसके और अपने लिए ठंडा पेय डाला और उसके सामने वाले सोफे पर आ कर बैठ गई। बातों बातों में मैंने देखा कि वो मेरे मोम्मों को घूर रहा था, मैं समझ गई कि आज तो मैं इससे चुद ही जाऊँगी।
मैंने उससे पूछा कि वह खाने में कुछ विशेष खाना चाहता है तो बता दे ताकि मैं बना दूँ !
मनीष ने कहा- जो भी कुछ आप बना रही हैं, मैं खा लूँगा।
फिर मैंने उससे पूछा कि उसको कोई समस्या तो नहीं होगी कि हम लोग खाना बनाते हुए बात करतें रहें तो?
उसने कहा- मुझे क्या परेशानी हो सकती है?
बातें करते हुए मैंने उससे पूछा- तुम्हारी कोई सहेली है?
तो उसने कहा- नहीं, मेरी कोई सहेली नहीं है।
तब मैंने उसको कहा- तुम इतने आकर्षक हो, सेक्सी हो, ऐसा नहीं हो सकता कि तुम पर लड़कियाँ मर ना मिटती हों ! तुम्हारी तो कई सहेलियाँ होंगी?
मनीष ने कहा- मैं झूठ नहीं बोल रहा हूँ, मैंने आज तक किसी भी लड़की में दिलचस्पी नहीं ली है।
मैंने उसको कहा- समय के साथ साथ तुम्हें बहुत सारी लड़कियाँ भी मिलेंगी और मज़ा भी मिलेगा।
मनीष ने पूछा- क्या आप अकेली रहती हो?
तो मैंने कहा- मैं अपनी एक दूर की रिश्तेदार पूजा के साथ रहती हूँ, वो अपने कॉल सेंटर गई है रात को ही आएगी।
बातें करते हुए मैंने कई बार उसकी तरफ देखा परंतु उसकी पैंट में कोई हरकत नहीं थी। क्योंकि मेरी पीठ उसकी तरफ थी इसलिए मैंने अपनी गांड को कई बार दायें बाएं हिलाया कि शायद वह एक बार मेरी बड़ी सी गरम गांड को देखे।
मैंने उसको पूछा- खाने से पहले कुछ पीने के लिए दूँ क्या?
और एक बार फिर अभी नहीं एवं धन्यवाद उसके मुंह से निकला।
तब मैंने उसको कहा- जब तक मैं खाना बनाती हूँ, तुम सोने के कमरे में जा कर टेलिविज़न देख लो, आराम कर लो।
जब मैंने खाना बना लिया तो मैं भी सोने के कमरे में गई तो देखा तो वह हमारी एक अश्लील पुस्तक देख रहा था। जैसे ही उसने मुझे देखा उसने वह पुस्तक एक ओर रख दी पर मैं उसकी पैंट में एक तम्बू देख सकती थी।
मैंने मनीष को कहा- तुम चाहो तो इस पुस्तक को ले जा सकते हो।
मनीष ने कहा- मैंने पहले भी वैसी कई पुस्तकें देखी हैं, मेरे छात्रावास में बहुत लड़कों के पास हैं।
मैंने उसको पूछा- तुमने कभी चुदाई की है?
उसने जवाब दिया- नहीं।
मैंने फिर उसको पूछा- कभी ऐसी पुस्तकें पढ़ते हुए किसी को चोदने की इच्छा नहीं हुई? तो वह बिल्कुल चुप रहा।
तब मैंने उसको छेड़ते हुए कहा- मैं शर्त लगा सकती हूँ कि जब भी तू बिस्तर में लड़की को लेकर जायेगा तो बहुत ही मस्त चुदाई करेगा !
मेरी इस बात पर वह शरमा गया और उसका चेहरा पके हुए टमाटर ही तरह लाल हो गया।
अंत में मैंने उसको पूछ ही लिया- क्या तू एक असली नंगी लड़की को देखना चाहेगा?
और तभी मैंने अपना गाउन उतार दिया और देखा कि मनीष मेरे चुचूकों को घूर रहा था जो कि अब तक बहुत कड़े हो चुके थे।
अपने मोम्मों की तरफ इशारा करते हुए …
पढ़ते रहिए !

मैंने उसको पूछा- तुमने कभी चुदाई की है?
उसने जवाब दिया नहीं।
मैंने फिर उसको पूछा- कभी ऐसी पुस्तकें पढ़ते हुए किसी को चोदने की इच्छा नहीं हुई? तो वह बिल्कुल चुप रहा।
तब मैंने उसको छेड़ते हुए कहा- मैं शर्त लगा सकती हूँ कि जब भी तू बिस्तर में लड़की को लेकर जायेगा तो बहुत ही मस्त चुदाई करेगा !
मेरी इस बात पर वह शरमा गया और उसका चेहरा पके हुए टमाटर ही तरह लाल हो गया।
अंत में मैंने उसको पूछ ही लिया- क्या तू एक असली नंगी लड़की को देखना चाहेगा?
और तभी मैंने अपना गाउन उतार दिया और देखा कि मनीष मेरे चुचूकों को घूर रहा था जो कि अब तक बहुत कड़े हो चुके थे।
अपने मोम्मों की तरफ इशारा करते हुए मैंने पूछा- क्या तुझे ये अच्छे लगे?
मनीष थोड़ा सा झिझका और शरमा गया।
इससे पहले कि वह कुछ बोलता, मैंने अपने मोम्मों को उसके मुंह के बिल्कुल पास कर दिया ताकि वह मेरी घाटियों को बिलकुल आराम से देख सके। मैं अपने आपको बहुत ही गर्म महसूस कर रही थी और सोच रही थी कि कैसे मनीष के कपड़े उतारूँ और उसको किसी अनुभवी लड़की को चोदने का मौका दूँ।
मैंने उसका एक हाथ अपने मोम्मे पर रखा और जोर से दबा दिया। यह उसके लिए जैसे बिजली के झटके जैसा था, उसने फ़ौरन अपना हाथ हटा लिया।
“क्या हुआ, क्या तुम्हें अच्छा नहीं लगा?” मैंने पूछा।
“ये तो बहुत बड़े हैं !” उसने कहा।
“छुओ इनको, दबाओ इनको, मनीष,” मैंने अपनी लरजती आवाज़ में कहा।
“चूसो इनको, मनीष !” मैं उसके साथ बैठते हुए बोली।
फिर मैंने उसको अपनी ओर खींचते हुए उसके मुंह को जोर से अपने मोम्मों पर दबा दिया। तब उसने बहुत ही प्यार से मेरे एक मोम्मे को चूसना शुरू किया और उसका कांपता हुआ दूसरा हाथ मेरे दूसरे मोम्मे को दबा रहा था।
शायद धीरे धीरे उसको मज़ा आने लगा और अब वो मेरे दोनों मोम्मों को बारी बारी चूसने लगा। अब उसके हाथ भी धीरे धीरे मेरे शरीर से खेलने लगे थे।
“बस ऐसे ही चूसते रहो, मेरे मोम्मों को प्यार करो, मनीष !” मैंने धीरे से उसको कहा।
अब मुझे लग रहा था कि एक कुंवारे लड़के से चुदने की मेरी इच्छा पूरी होने जा रही है, मैं बहुत ही उत्साहित थी और अपनी चूत में गीलापन महसूस कर रही थी। अब यह तो निश्चित था कि मनीष भी मुझे चोदना चाहता है।
“मैं तुमसे चुदना चाहती हूँ मनीष ! आओ चोदो मुझे और एक लड़की को अपने नीचे लिटाने का मज़ा लो !” मैंने कहा।
“आप बहुत सुन्दर हैं, शालिनी जी।” मनीष ने कहा।
“मनीष तुम मेरे मोम्मों से खेल चुके हो और अब हम दोनों चुदाई करने वाले हैं, इसलिए तुम मुझको शालू नाम से ही बुलाओ, मुझे बहुत ही अच्छा लगता है।”
“मैं नहीं जानता था कि एक बड़ी उम्र की लड़की भी इतनी गर्म और सेक्सी हो सकती है !” मनीष ने कहा।
अब मैं भी देख रही थी कि उसका लंड तम्बू की तरह उसकी पेंट में खड़ा हो चुका है और बाहर आने के लिए बेताब है,”मनीष ऐसा लगता है कि तुम्हारा यह बड़ा सा तम्बू सच बोल रहा है। चलो, अब इसको भी बाहर की हवा खाने दो। मैं जानती हूँ कि तुम भी मुझे चोदना चाहते हो,” मैंने उसको चूमते हुए कहा।
इससे पहले कि मनीष कुछ सोचता या समझता, मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और मेरे सामने ऊपर की ओर मुड़ा हुआ एक आठ इंच से भी लंबा और कोई तीन इंच मोटे गुलाबी सुपारे वाला हल्के भूरे रंग का कुँवारा लंड था और आज मैंने उस लंड के नीचे लटके हुए वीर्य से भरे टट्टों को खाली करना था।
मैंने धीरे धीरे उसकी छाती पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और उसको चूमना और चाटना शुरू कर दिया। फिर मैंने उसकी छाती पर अपनी जीभ फेरनी शुरू कर दी और नीचे जाती हुई ठीक उसके लंड के ऊपर आकर रुक गई।
मैंने उसके लंड के सुपारे को एक बार अच्छी तरह से चाटा और फिर अपनी जीभ को उसके मुँह में डाल कर उसके होठों को चूसने लगी। मनीष के हाथ अब मेरे शरीर से खेल रहे थे। मेरा एक हाथ उसकी गर्दन पर था और दूसरा उसकी गांड सहला रहा था।
कोई बीस मिनट तक उसके होठों को चूसने के बाद मैंने अपनी कांपती हुई आवाज़ में कहा,”मैं तुमको चूसना चाहती हूँ ! मैं तुम्हारे लंड को चूसना चाहती हूँ मनु। तुमको कैसा लगेगा जब मैं तुम्हारे लंड को अपने मुंह में लूंगी?”
“मैं नहीं जानता, परंतु शायद बहुत ही अच्छा लगता होगा, मेरा लंड चूसो !” मनीष से मुंह से निकला।
और मैंने उसके टट्टों को सहलाते हुए उसके लंड के सिरे पर अपनी जीभ फेरनी शुरू कर दी और उसके लंड को चाटना शुरू कर दिया।
“ओह ओह!!!!!!!!!!!!!!!” उसके मुंह से आवाज़ निकली।
तब मैंने उसके लंड को जोर जोर से चूसना शुरू कर दिया। मनीष की जोर जोर से हुंकारने की आवाजें आ रही थी। हो सकता है मनीष पहली बार मुझे चोदने के बारे में संकोचित था परंतु इसमें कोई शक नहीं था कि वह अपने लंड को चुसवाने का पूरा मज़ा ले रहा था।
“ओह, शालिनी!!!!!!!!!! ओह प्लीज़ शालू !!!!!!!!” उसके मुंह से एक कराह निकली।
थोड़ी देर तक उसके लंड को चाटने के बाद मैंने उसका पूरा का पूरा लंड अपने मुंह में ले लिया और उसे मुख चोदन का मज़ा देने लगी।
अब मनीष भी मेरे सिर को अपने दोनों हाथ से पकड़ कर अपने पूरे जोर से मेरा मुख-चोदन कर रहा था। जैसे ही उसे लगा कि वो झड़ने वाला है उसने अपना लंड मेरे मुंह से बाहर निकाल लिया और भाग कर बाहर जाने लगा। मैंने उसको झट से पकड़ के रोका और उसके लंड की मुठ मारने लगी।
और तभी मनीष के लंड से वीर्य कि पिचकारियाँ छुटने लगीं और पहली पिचकारी सीधी मेरे चेहरे पर गिरी, तब मैंने उसके लंड को नीचे की ओर कर दिया ओर सारा का सारा वीर्य मैंने अपने मोम्मों ओर पूरे शरीर पर गिरने दिया।
“इतनी जल्दी झड़ने के लिए मैं माफ़ी चाहता हूँ पर तुमने मुझे इतना उत्तेजित कर दिया कि मैं अपने आप को रोक नहीं सका।” मनीष के कहा।
उसका ढीला होता हुआ लंड अभी भी मेरे हाथ में था और मैं अभी भी उसको आगे पीछे कर के उसकी मुठ मार रही थी।
जब उसका लंड पूरी तरह से बैठ गया तो मैंने मनीष को अपने ऊपर लिटा लिया और उसकी गर्म सांसों का स्पर्श महसूस करने लगी। हम दोनों उसके वीर्य से गीले थे। मेरे हाथ उसकी पीठ को सहला रहे थे। मैंने सोचा कि कितने लड़के मेरे लंड चूसने से इतने खुश नहीं हुए और आज एक कुंवारे लड़के के लंड ने इतना वीर्य छोड़ा कि वो मेरे लंड चूसने से बहुत ही उत्साहित हो गया। थोड़ी देर के बाद मैंने
हम दोनों को गीले तौलिये से साफ़ किया। उसकी मौखिक कक्षा अभी खत्म नहीं हुई थी और उसके बाद तो अभी उसकी व्यावहारिक कक्षा शुरू होनी थी।
तभी मैंने उसको चूत चाटने के बारे में पूछा।
पढ़ते रहिए !

जब उसका लण्ड पूरी तरह से बैठ गया तो मैंने मनीष को अपने ऊपर लिटा लिया और उसकी गर्म सांसों का स्पर्श महसूस करने लगी। हम दोनों उसके वीर्य से गीले थे। मेरे हाथ उसकी पीठ को सहला रहे थे। मैंने सोचा कि कितने लड़के मेरे लण्ड चूसने से इतने खुश नहीं हुए और आज एक कुंवारे लड़के के लण्ड ने इतना वीर्य छोड़ा कि वो मेरे लण्ड चूसने से बहुत ही उत्साहित हो गया। थोड़ी देर के बाद मैंने हम दोनों को गीले तौलिये से साफ़ किया। उसकी मौखिक कक्षा अभी खत्म नहीं हुई थी और उसके बाद तो अभी उसकी व्यावहारिक कक्षा शुरू होनी थी।
तभी मैंने उसको चूत चाटने के बारे में पूछा।
मनीष ने पूछा- क्या कभी किसी ने आपकी चूत चाटी है?
यहाँ मैं कहना चाहूंगी कि चुदवाने के साथ मुझे अपनी चूत चटवाने का भी शौक है और पूजा चूत चाटने में बहुत ही बढ़िया है।
मैं अपनी पीठ के बल अपनी टाँगें खोल कर लेट गई- मेरी चूत चाटो, मनीष ! मैंने उसको जोर देते हुए कहा और उसके सिर को अपनी चूत की ओर दबाने लगी।
मनीष ने अपनी जीभ मेरी टांगों के ऊपर फेरनी शुरू कर दी और मैं सिहर उठी।
तुम ठीक तो हो ना शालिनी? मनीष ने मेरी सिहरन को समझते हुए पूछा।
ओह हहह मनीष, बहुत अच्छा लग रहा है, रुकना नहीं ! बस ऐसे ही चाटते रहो ! मैंने कहा।
वह मेरी चूत के आसपास चाटता रहा और बीच बीच में मेरी जांघें भी चाट लेता था। धीरे धीरे उसकी जीभ मेरी चूत के होठों पर पहुँच गई।
और जैसे ही उसने मेरी चूत को चाटना शुरू किया मैं अपनी चरम सीमा पर पहुँच गई, जोर से उसका सिर अपनी जांघों के बीच में दबा लिया और जैसे ज्वालामुखी फटता है वैसे ही अपना पानी छोड़ने लगी।
थोड़ी देर के बाद जब मेरी साँसें सामान्य हो गई तो मैंने उसको अपनी तरफ खींचते हुए कहा- तू बहुत ही बढ़िया चूत चाटता है ! और अब कोई लड़की चूत चुसवाने से खुश ना हो तो इसमें उस लड़की का ही कसूर होगा !
वह सिर्फ मेरी ओर देख कर मुस्कुराया और मेरे होठों को चूसने लगा।
मैंने देखा कि उसका लण्ड एक बार फिर खड़ा हो चुका था। उसका लण्ड मुझे इतना अच्छा लग रहा था कि मैं उसको अपनी गीली चूत में लेने के लिए बेताब थी।
“चलो चुदाई करते हैं !” मैंने कहा।
मनीष को शायद मौखिक सेक्स का मज़ा आया हो परंतु व्यावहारिक सेक्स के बारे में वह कुछ घबराया हुआ सा लग रहा था।
मैंने उसको चूमते हुए कहा- घबराओ नहीं ! सब बहुत ही मज़ेदार होगा।
मैं एकदम गर्म थी और जोर जोर से चुदना चाहती थी। एक बार तो मुझे लगा कि शायद मुझे इस लड़के का बलात्कार ही करना पड़ेगा। जबकि उसका खड़ा हुआ लण्ड मुझे कुछ और ही कहानी बता रहा था। उसके चेहरे को देखकर मैं समझ गई कि यह बिल्कुल ही अनाड़ी है और मैंने उसी समय सोच लिया कि मैं ही उसके ऊपर चढ़ कर उसको चोद दूँगी।
“अब तुम्हें बहुत ही मज़ा आएगा, मनीष !” मैंने उसे मुस्कुराते हुए कहा।
और फिर उसको नीचे लिटा कर मैं उसके लण्ड पर सवार हो गई, अपनी दोनों टांगें उसके दोनों ओर करके बिना उसके चेहरे से अपनी नज़र हटाये हुए मैंने उसके बहुत ही कड़क लण्ड को अपनी चूत के मुंह पर रखा और धीरे धीरे उस पर बैठ गई।
जब उसका लण्ड पूरी तरह से मेरी चूत में घुस गया तो मैंने धीरे धीरे ऊपर नीचे होना शुरू कर दिया और फिर अपने उछलने की गति बढ़ाने लगी। मैं उसके होंठों को चूमने के लिए उसके ऊपर अधलेटी हो गई और मनीष ने मेरी कमर पर अपनी बाहें लपटे दीं ताकि हम एक दूसरे के होठों को चूसते रहें।
“ओह !!! शालू, तुम बहुत ही सेक्सी हो ! इतना अच्छा लग रहा है कि मैं बयान ही नहीं कर सकता !” मनीष ने कहा।
मुझे नहीं मालूम कि कभी मनीष ने मुझे चोदने का सपना देखा हो ! या ना देखा हो ! परंतु मैंने हमेशा से उससे चुदने का सपना देखा था। और आज उस उन्नीस साल के लड़के का कुँवारा लण्ड मेरी सताईस साल की अनुभवी चूत के अंदर था।
और अब जब उसका लण्ड मेरी चूत में था तो लग रहा था कि वह हर एक पल का मज़ा ले रहा था।
जहाँ तक मेरी बात है, मैं तो उसके लण्ड का मज़ा ले ही रही थी।
“ओह !!! शालू…..! मनीष की कराह निकली।
जब मैंने अपनी प्यासी चूत के अंदर उसके लण्ड पर जोर जोर से धक्के देना शुरू कर दिया तो “और जोर से चोदो !” उसके मुंह से निकला।
“तुम्हें अच्छा लगा, मनीष?” मैंने और जोर से उसके लण्ड की सवारी करते हुए कहा।
“तुम्हें इस तरह तुम्हारे लण्ड का चुदना अच्छा लगा? ओह!!!!!! मनीष ! मुझे भी एक जोरदार चुदाई की बहुत ही ज्यादा जरूरत थी। तुम्हारा लण्ड से मेरी चूत में बहुत ही मज़ा आ रहा है। बस ऐसे ही अपना लण्ड मेरी चूत में हमेशा डाले रहो!” मैं कराह कर कह रही थी।
मैं अपने पूरे जोर से उसके लण्ड की सवारी कर रही थी और एक बार फिर मुझे अपने चरम सीमा पर पहुँचने का अंदाजा हो गया था।
“ओह मनीष, मैं झड़ने वाली हूँ !” मैं जोर से चिल्लाई और अपनी चरम सीमा पर पहुँच गई।
उस समय मेरे जोर जोर से उछलने से एक बार तो ऐसा लग रहा था कि बेड ही टूट कर गिर जायेगा। मैं देख रही थी कि मनीष भी मेरे झड़ने का मज़ा ले रहा है। अब वह एक लड़की को चुदाई के दौरान झड़ने का अनुभव ले रहा था। अब यह तो वही जानता था कि उसको सबसे ज्यादा मज़ा कब आया जब मैंने उसका लण्ड चूसा या जब उससे अपनी चूत चुसवाई या जब मैं उसको चोदते हुए झड़ी, तब।
अब जब मनीष चुद चुका था मैं उसको आदमी मानने लगी।

1 comment:

  1. मेरे से ईसा पूरि करवा लो सिफ लडकी 9602757325

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