Friday, March 27, 2015

Mausi ki randi beti

मेरा नाम गौरव है, मैं आपको अपना तब का अनुभव बताने जा रहा हूँ जब मैं गाँव में गया था. पहली बार गाँव 4 साल पहले गया था. यह किस्सा मेरे घर बर्तन माँजने आने वाली लड़की के साथ की है. एक तरह से कहूँ तो देसी कहानी इसे कहा जा सकता है देसी कहानी इस लिए भी की गाँव में किसी लड़की के साथ यह मेरा पहला सेक्स था. गाँवों में तो सेक्स मिलना इतना आसान जितना शहरों में बरगर और समोसा.
वो घर के पिछवाड़े में रोज बर्तन माँजा करती थी. उस वक्त वहाँ कोई नहीं होता था. और बर्तन माँजने वाली जगह पर घऱ के दूसरे लोगों का काम भी क्या है..!


इस देसी कहानी की शुरूआत तब हुई जब बर्तन धोने के लिए वह बर्तन इक्ट्ठा करने हर कमरे की तरह रोज मेरे कमरे भी आती थी. और कभी मछलियों को कभी बड़े से शीशे के सामने खुद को देखती. उसके हिसाब से मैं सोया रहता था. दो चार दिन मैंने एक दो दिन जाग जाता तो लेटे लेटे ही उसके पोज देखते. कभी वो अपने चूचे ऊपर कपड़ों से ही दबा कर देखती. और कभी गांड देखती. एक दिन वो थोड़ी ज्यादा टेढ़ी हो शिशे में अपनी गांड देख उस पर थप्पकी मार रही थी. और मेरी हँसी छूट गई. वो मुझे मुड़कर देखी. और बर्तन छोड़ भाग गई.

धीरे धीरे वह पट गई. और मेरे सामने ही वह सब करने लगी. एक दिन वह तड़के एक इंची-टेप लेकर आई. और बोली मेरा सीना नापों. मैं समझ गया.

मैं – ऐसे कैसे नापूँ सूट के ऊपर से सही सही नाप नहीं मिलेगा. उतारना पड़ेगा. उतारो..

उसके सूट उतारते ही मैं समझ गया मेरी देसी कहानी का पहला सेक्स कांड आज ही होना है… उसने कोई ब्रा नहीं पहनी थी. जब मैंने पूछा तो उसने कहा की गाँवों में गरीब लड़कियाँ ये सब कहाँ पहनती है.

उसका सीना 35 था. 35 C , फिर मैंने कहा, कमर भी नापूँ, उसने साँस खिंच कर रोकी. कमर 27 थी. मैंने उससे पजामा उतारने को कहा.. उसने उसे भी उतार दिया. उसने लाल रंग का पूराने जमाने की स्टाइल की एक चढ्ढ़ी पहन रखी थी.

मैंने कहा ये तो तूने पहन रखा है.

अनु – अब चढ्ढी इतनी भी मँहगी नहीं आती है की उसे भी ना खरीद सकूँ. बाडी ( ब्रा ) तो अच्छी यहाँ गाँवों में नहीं मिलती इसलिए.

छमिया बड़ी हॉट निकली
मैं – अच्छा सुन लिया अब ये चढ्ढी तो उतार. उसने उसे उतारा तो उसके बाल नहीं थे. मैंने गांड नापी. गांड 34 थी. मैंने पूछा तेरे बाल कहाँ है. उसने कहाँ – कल रात में पापा के रेजर से बनाए. मैंने उसे करिब बुलाया ये देखने के लिए तूने कैसे बनाएँ है. वो पास आई. और उसकी चूद को हसके से सहलाया और उसे इशारे से जाँघ उठाने को कहा. मैं उसकी जाँघ अपने पीठ पर ली. और होल्ड ओवर holdover sex position में उसकी चूत चाटने लगा. कोई गाँव की लड़की के साथ सेक्स का इतना भी आ सकता है मैंने पहले कभी नहीं सोचा था.. मैंने उसकी चुत में जीभ घूसा दी उसकी चूत अंदर से सामान्य ही थी. न गिली न सूखी. पर थूक लगाकर उसे चाटने में मजा आ रहा था . वह भी मस्त हो एक हाथ से अपने चूचे दबाने लगी और दूसरे हाथ से मेरे बालो को कभी खिंचती और कभी अपनी चूत से सटाती. कभी मेरे मुंह को कसकर पकड़ती और उस पर अपनी चूत रगड़ती. वैसे तो सुनने में यह अजीब लगे. पर जब वो अपनी चूत मेरे जीभ पर रगड़ती तो बड़ा मजा आता मेरा लंड खड़ा हो गया. मैंने उस वक्त सिर्फ चड्ढ़ी भर ही पहनी थी. सो तुरंत निकाल फेंक दी. थोड़ी देर बाद मैं खड़ा हुआ. और उसे कुर्सी पर बैठा कर उसके सामने खड़ा हो गया. कुर्सी काफी छोटी ऊचाई की थी. तो फूल थ्रोटल सेक्स पोज बड़ी सही ढंग से बन गया. उसने मेरा पूरा लंड एक बार में ही पूरा अपने मुंह में भर लिया. मैं तो यह देख कर ही दंग रह गया. गांव की देसी कहानी तो मैंने भी सुनी थी. पर ऐसी कभी नहीं सुना और आज मेरे साथ हो भी रहा था. उसका मुंह थोड़ा सुखा था. सो मैंने अपने लंड पर थोड़ा सा थूक गिराया और वो घचर-घचर की आवाज से चूसने लगी. वह मेरे लंड के पहली उँगली और अंगूठे से कसकर दबाती और गाड़ी के गेयर जैसे मरोड़ मरोड़ कर चूसती.

लेकिन मजा तो तब मस्ती में बदल गया जब वह अपने दोनों हाथों से लंड को मरोड़ने और चूसने लगी वो भी दायें हाथ से बायी तरफ और बायें हाथ से दायी तरफ. लंड सेक्स की मस्ती से उत्तेजक होता है. और उसमें खुन का दौड़ा तेज से रूकने लगता है. खुन रूकने से ही लंड खड़ा होता. पर वो तो ये काम अपने दोनों हाथों से भी बड़ी अच्छी तरह कर रही थी. इतना मस्त ब्लो जाब की किसी बुढ़े का भी खड़ा कर दें.

मैंने उससे पूछा – कहाँ से सिखा ये.. इतना बढिया लंड चूसना.

उसने कहा – शहर वाली सिर्फ मेकप चटवा सकती है. मजा नहीं दे सकती जितना गांव की लड़कियाँ दे सकती है. अब चोद दो मुझे..

इतना कह कर वह कुर्सी पर ही घूम मेरी तरफ अपनी गांड कर बिस्तर पर हाथ रख हो गई. मैंने पीछे से उसकी चूत में अपना लंड डालने लगा. उसकी चूत काफी टाइट थी. हांलिंक थोड़ी सी सुखी टाइप की थी. पर उसने मेरे लंड पर इतना थूक छोड़ रखा था कि वही काफी था. मैंने उसकी गांड पर ताड़ – ताड़ 2 तीन थप्पड़ बजाएं सोचा चूत थोड़ी ढीली हो जाएगी पर उसने तो उसे और भी टाइट कर लिया. मैंने उसे शूरू में आराम आराम से चोदा. हम दोनों के मुंह से आवाज तो नहीं पर जोरों से हमारी साँसे चल रही थी. उसकी चूत थोड़ी देर बाद और मस्ती में मस्त और गिली होने के साथ – साथ काम भर की चूदने लायक जगह भी हो गई थी. मैंने उसे कमर से पकड़ कर आगे पीछे करना शूरू किया जब मैं रूक जाता तो वह आगे पीछे हो सेक्स करती और फिर मैं करता तो वह रूक जाती.

मस्ती मदमस्त तब हो गई जब थोड़ी देर बाद हम दोनों की टाइमिंग सटीक बैठी और हम दोंनों एक साथ आगे पीछे होने लगे. उसकी चूत भी काफी गिली हो गई. उत्तेजना इतनी बढी की मैंने उसे उठाकर बिस्तर पर पटक दिया और उसके ऊपर चढ. गया. चूत में लंड डाल धाड़ धाड़ चोदने लगा. और जब उसके मुंह से आह आह की आवज निकलने लगी. तो मैंने उसके मुंह में अपना मुंह डाल दिया. दोनों हाथों से उसके चूचों का दबाने और मसलने लगा. वो थोड़ी बाद ही झड़ गई पर मैंने उत्तेजना वश उसे नहीं छोड़ा. अगले 2 मिनट तक उसे जबरन पेला. अंत में उसकी चूत में ही झड़ गया.

उसने मुझसे कई दिन तक अंत के 2 मिनट के लिए बात नहीं की. हाँलांकि मान गई और कई बार फिर चूदी भी.

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