Saturday, March 28, 2015

(देसी सेक्स कहानी) दफ्तर जहा, चूत मिले वहा

                       
              पता नहीं क्यों, लोग सबसे पहले अपने बारे में बताते हैं पर मैं आपको “एम एस एस” के बारे में बताना चाहता हूँ… बहुत ही अच्छी और मनोरंजक साईट है, यह!! मैं कामिनी जी को सादर धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने इतनी अच्छी साईट बनाई। मैं उनका धन्यवाद करना चाहता हूँ!!! !!
बताना चाहूँगा कि मैंने इस साईट की सारी कहनियाँ पढ़ीं हुई हैं।सो; अब मैं कहानी पर आता हूँ…
मेरा नाम शुशांत है, उम्र 26 साल और कद 5।7 है। मैं दिखने में औसत हूँ और मेरा लण्ड भी सामान्य है और मैं अन्य लेखकों की तरह नहीं कहूँगा कि मेरा 9 का है तो मेर 10 का है!!दोस्तो, मैं एक प्रतिष्ठित कम्पनी में कार्य करता हूँ…


वैसे, तो मैं बहुत सारी लड़कियों और महिलाओं के साथ सेक्स कर चूका हूँ पर मैं आज आपको अपनी सबसे अच्छी कहानी सुनाने जा रहा हूँ…

अभी हाल में ही मेरा ट्रान्सफर असम जिले में हुआ था। कम्पनी ने रहने के लिए मार्किट में ही एक फ्लेट का इंतेज़ाम किया था।

हमारे मकान के ठीक बगल में एक घड़ी की दुकान थी। वहाँ दुकानदार की एक लड़की थी, जो रोज़ दुकान पर कुछ समय के लिए आती थी।

पहले तो मैं कुछ गौर नहीं करता था, लेकिन वो हमेशा चुपचाप मुझे देखा करती थी, उसका नाम “चांदनी” (काल्पनिक) था…

उसके फिगर का आईडिया तो पता नहीं, हां पर देखने में मस्त माल थी – पतली कमर… सुतवा नाक… छोटी छोटी चूची… पतले होंठ… सुराहीदार गर्दन और मस्त गोल गाण्ड थी!!

अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ…

मित्रो, एक दिन मैंने बहुत ही ज्यादा शराब पी ली थी!! उस दिन जैसे ही मैं ऑफिस से आया, वो फिर से मुझे घुर रही थी।

तब मैंने शराब के नशे में उसे बोला – तुम बार बार मुझे क्यूँ घूरती हो…??

उसने मुझे कहा – मैं यहाँ और अभी बात नहीं करना चाहती। आप अपना नंबर मुझे दे दो; हम बाद में बात करेंगे…

जैसे ही उसने मुझसे यह कहा, मेरी डर से हालत ख़राब हो गई और मैं भाग कर अपने फ्लेट में चला गया।

कुछ दिन तक मैं सुबह जल्दी ऑफिस जाता और देर रात वापस आता था।

करीब एक हफ्ते के बाद, वो मुझे मार्किट में मिली; तो उसने मुझे हाथों में एक कागज का टुकड़ा पकड़ाया और भाग कर अपनी दुकान में चली गई…

मैं अपने फ्लेट में आया और कागज खोल कर देखा तो उस पर एक मोबाइल नंबर लिखा था।

मैंने रात को करीब 11 बजे उस नंबर पर फ़ोन मिलाया… फ़ोन शायद उसी लड़की ने उठाया और कहा – आप ने इतनी देर कर दी, बात करने में…

मैं बोला – बताओ, क्या बात करना है… ??

फिर हमारा बात करना शुरू हो गया…

हमने फ़ोन पर करीब दस दिन तक बातें की और उसके बाद मैंने उसे बोला कि मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ!!

पहले तो उसने बहुत इंकार किया, फिर एक दिन मान गई और बोली – ठीक है, कल मैं शहर जा रही हूँ… अगर आपको मिलना है तो आप शहर आ जाईयेगा… दिन में लगभग 11 बजे…

मैं भी तैयार होकर अगले दिन शहर में आ गया!!

पहले हमने सीनेमा हॉल में मिलने का प्रोग्राम बनाया था, तो मैंने जाकर दो कपल सीट बुक करवा ली थी!!! !!

ठीक 11 बजे, वो आई…

उफ़!! क्या मस्त माल लग रही थी वो, नीले रंग के सलवार-कमीज़ में!!

खैर, हम लोग कुछ देर घुमे, फिर फिल्म देखने हॉल में पहूँच गए। हमने पहले ही कपल सीट ली हुई थी, सो हमें टोर्च वाले ने ऊपर सबसे साइड वाली कपल सीट पर बैठा दिया…

जैसे ही फिल्म शुरू हुई, मैंने धीरे से उसे कहा – मुझे तुम्हे किस करना है!!

पहले तो उसने इंकार कर दिया पर जैसे ही मैं नाराज़ हुआ, वो मान गई…

फिर मैंने धीरे धीरे उसे किस करना शुरू किया। मैं उसके होंठों को चूस रहा था और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी… …

फिर धीरे से मैंने उसकी चूची को दबाना शुरू किया और अपना लण्ड उसके हाथों में दे दिया। उसके मुँह से सिर्फ आह… उफ़… इश्स… और पता नहीं क्या क्या आवाज निकल रही थी!!

जैसे ही मैंने उसकी चूची को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया, वैसे ही उसने अकड़ना शुरू कर दिया और जोर जोर से मेरे लण्ड को आगे पीछे करने लगी… लग रहा था मेरा लण्ड वो जड़ से उखाड़ देगी!!

अब मैं उसकी पैंटी में हाथ डालकर उसकी बुर को सहलाने लगा और वो मेरा हाथ जोर जोर से अपनी बुर पर दबाने लगी और जोर जोर से साँस लेते हूँए कस के मुझ से लिपट गई!! !!

थोड़ी ही देर में, पानी की एक पतली धार निकली और मेरा पूरा हाथ भीग गया… …

मैंने अपने कंधे पर उसको सहारा दिया और कुछ देर के बाद वो नार्मल हो गई!!

मेरे लण्ड अभी भी दर्द कर रहा था। मैंने उसको बताया तो उसने मुझे सॉरी बोला…

फिर कुछ देर बाद हम लोग मूवी छोड़ कर बाहर आ गए।

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